तिल सरीखी बात को ताड़ बना देते हैं ज़माने वाले। कीचड़ उछालने में तनिक न शरमाते हैं ज़माने तिल सरीखी बात को ताड़ बना देते हैं ज़माने वाले। कीचड़ उछालने में तनिक न शरमाते ह...
रिश्तों की अजनबीयत... रिश्तों की अजनबीयत...
अवसरों को टोहता अपनापन... अवसरों को टोहता अपनापन...
तभी अचानक कानों में पड़ा सुनाई लड़के कभी रोते नहीं जीवन के संग्राम में कभी कमजोर होत तभी अचानक कानों में पड़ा सुनाई लड़के कभी रोते नहीं जीवन के संग्राम में ...
रात के दो पहर ही होते हैं रात के दो पहर ही होते हैं
लक्ष्य बनाकर जीने वाले उसका पीछा करने वाले, लक्ष्य भला कब तक भागेगा एक दिवस मिल ही ज लक्ष्य बनाकर जीने वाले उसका पीछा करने वाले, लक्ष्य भला कब तक भागेगा एक ...